स्वदेश बुलेटिन
भारतीयों के ईज़ाद किए हुए परांठे फ़ास्टफ़ूड से कहीं बेहतर हैं। परांठे आटे के बनते हैं, जिसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स नम्बर कम है। जबकि पिज़्ज़ा, बर्गर, मोमोज़, समोसे मैदे के बनते हैं जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स हाई है, जिससे इंसुलिन ज़्यादा स्पाइक होता है।
परांठे में आप हेल्दी तेल और हरी सब्जियां डाल सकते हैं। तेल की मिक़दार को कम कर सकते हैं। परांठे शैलो फ्राई किए जाते हैं, जिससे तेल ज़हरीला नहीं होता और हेल्दी बना रहता है। जबकि समोसों को एक ही तेल में बार बार तला जाता है जिससे तेल कैंसर काज़िंग बन जाता है।
परांठे के आटे को हम मल्टीग्रेन भी बना सकते हैं, धीमी आंच पर मनचाही देर सेक सकते हैं, लेकिन पिज़ा और बर्गर वगैरह में एक तो फैट अनहेल्दी डाला जाता है, फिर उस फैट को कम करने का ऑप्शन भी हमारे पास नही होता। इसलिए लब्बोलुआब ये है कि घर के बने परांठे ही बहुत ज़्यादा बेहतर हैं पिज़्ज़ा, बर्गर, समोसों के मुकाबले।
Leave a Reply