स्वदेश बुलेटिन
फ़ोन बजता है, पत्नी फ़ोन उठाती है,
महिला : हैलो, क्या ये भट्टी जी का घर है?
पत्नी : हाँ जी, घर तो उन्हीं का है, लेकिन प्लाट मेरे पापा ने लेके दिया था.

तब एंट्री होती है जसपाल भट्टी की। ये अपने जैसे इकलौते हैं। इन्होंने कभी लीचड़पंती को अपना हथियार नहीं बनाया, फूहड़ता से कभी नाता नहीं जोड़ा। आम जनता की परेशानियों से किनारा नहीं किया और राजनीति के सामने इतना बड़ा आइना रख दिया कि उसे अपना चेहरा देखने में शर्म आती होगी।
जसपाल भट्टी जी ने एक शो बनाया था “फ्लॉप शो”। ये दृश्य उसी शो काहै। नाम सबने सुना होगा लेकिन देखे हुए बरसों हो गए होंगे। इसके केवल 10 एपिसोड बने थे। पच्चीस मिनट के मात्र 10 एपिसोड और असर ऐसा कि पैंतीस बरस बाद भी लोगों को याद हैं।
डॉक्टरों, ठेकेदारों, सीरियल निर्माताओं, सरकारी विभागों, ज़मीन दबाने वालों, पीएचडी करवाने वालों सभी की पोल खोली है और इतने शालीन लेकिन मारक तरीक़े से, कि आप वाह-वाह करते रहते हैं।
व्यंग्य और हास्य का उत्कृष्ट मिश्रण है। कमाल का लेखन है, खुद जसपाल भट्टी ने लिखा है। Youtube पर उपलब्ध हैं, देख लीजिए। दिमाग़ी ख़ुराक के लिए अच्छी चीजें देखना जरूरी है।
“उस ज़माने की सरकार की तारीफ़ कीजिए कि उसने अपनी ही जगहंसाई करने वाला शो सरकारी चैनल पर चलने दिया।” आज के वक़्त अव्वल तो ये शो अप्रूव ही नहीं होता और हो भी जाता तो जसपाल जी को पहले एपिसोड के टेलीकास्ट होते ही “देशद्रोह के इल्ज़ाम में जेल में डाल दिया जाता।”