हिमांशु द्विवेदी
वन विभाग यदि पूर्व मे अनुमति दे देता तो एक जीवन बच सकता था।
भेल और वन विभाग की लापरवाही के चलते हुई दुर्घटना
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हरिद्वार। देर से ही सही पर वन विभाग ने भेल के मध्य मार्ग पर सूखे व जर्जर पेड़ों के पातन के लिए अनुमति दे दी है। यदि यही अनुमति पूर्व मे दी गई होती तो एक जीवन बचाया जा सकता था। वहीं दोनों विभागों की चूक का नतीजा दुर्घटना का कारण बनी। लेकिन इन सब बातों के बीच एक बात छन कर सामने आ रही है कि भेल ने जिन सिल्वर ओक प्रजाति के पेड़ो के पातन की अनुमति वन विभाग से मांगी थी वह पेड़ तो पहले से ही छूट में आते हैं।

पर यह बात 10 महा पूर्व भेल के अधिकारियों को क्यों नहीं बताई गई। जब उन्होंने 200 पेड़ काटने की अनुमति के लिए वन विभाग से अनुरोध किया था।
दुर्घटना के बाद से दोनों ही विभाग ने कमरकसी और दोनों चैतन्य हो गए। जो एक्सरसाइज दोनों विभाग वर्तमान में कर रहे हैं यदि समय रहते पूर्व में यही एक्सरसाइज की होती तो युवती का जीवन बच सकता था। भेल के जन संपर्क विभाग ने जानकारी दी है कि अनुमति मिलते ही सूखे पेड़ों को तुरंत हटाया जा रहा है । जो सड़क के किनारे गिरासू पेड़ हैं उनको भी अविलंब हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जब सिल्वर ओक प्रजाति के पेड़ पूर्व से वन विभाग की अनुमति की छूट में थे । ऐसे पेड़ों के लिए केवल मूल्यांकन की अनुमति ही दी जाती है।
देर आये दुरस्त आये की की कहावत दोनों ही विभागों पर चरितार्थ होती है।