यह बात तो पहली ही बार पता चली, धन्यवाद महाराज!
हालांकि कौन किधर से पैदा हुआ यह भी स्पष्ट करना था।

जाति धर्म का धंधा खोले बैठे ऐसे ये कलयुगी साधु संत समाज में जहर घोलने का काम कर रहे हैं। जो कमी राजनेता छोड़ देते हैं, उसे ये पूरी कर देते हैं।
सबसे बड़ा दुख यह है कि जनता भी इनकी भक्त बनी इनके खूब चरण धो धोकर पीती है।