पैदा होते त्योहार

         बहुत से धार्मिक त्यौहार फिल्मों और टीवी धारावाहिक के कारण हैं। वहां देखकर इसे मनाने का चलन शुरू हुआ और फिर कोई किताब लिखकर इसे त्रेतायुग का त्योहार बता दिया जाएगा। कोई एक और किताब इन त्योहारों को लेकर कहानियां छापेगा और इसे अपने आराध्यों से जोड़ेगा और यह कहानियां ही अंततः धर्म का हिस्सा बन जाएंगी।
         गुलशन कुमार, एकता कपूर, यश चोपड़ा और करण जौहर ने इस देश में बहुत से धार्मिक त्योहार और देवी देवता पैदा किए हैं। आप 50-60 साल पहले नज़र डालिए बहुत से धार्मिक त्यौहार तब आपको नज़र नहीं आएंगे, जो अब ज़ोरशोर से मनाए जाते हैं। इसमें एक त्योहार मुसलमानों का भी है। इसीलिए भारत त्योहारों का देश हो गया है।
       यहां रोटी कम त्योहार ज़्यादा हैं। 12 महीने में 1 महीना खरवांस का, इसमें ना खरीददारी होती है ना कोई शुभ काम। 1 महीना पित्तर का होता है जिसमें कोई शुभ काम तो छोड़िए चलते हुए काम भी रूक जाते हैं। बचे 10 महीने में 3 महीने बरसात के होते हैं जिसमें कारोबार ठप्प रहता है, सिर्फ छाते और पन्नी बिकती हैं।
       बचे 7 महीने में लगन, हर दिन कोई ना कोई त्यौहार, हर दिन छुट्टी, हर दिन किसी ना किसी धर्म का धार्मिक जुलूस। जितने महापुरुष उतने दिन की छुट्टी और अस्त व्यस्त बाज़ार। बचे दिनों में शनिवार को कोई नमक, तेल और लोहा नहीं खरीदता तो कोई पंडित जी के मना करने के कारण फलां फलां दिन  कुछ नहीं खरीदता। सबके अपने दिन अपने पंडित अपने मौलवी और उनकी सलाह।
      इस चक्रव्यूह में हम जीडीपी का मुकाबला अमेरिका, जापान और चीन से करने का ख़्वाब देखते हैं जहां 365 दिन सिर्फ़ और सिर्फ़ काम होता है।

* सुदेश आर्या

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *