great donation of body भारत की संस्कृति और परंपराएँ सदियों से मानवता, परोपकार और दान की भावना पर आधारित है

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डॉ. गिरीश कुमार वर्मा

great donation of body विश्वसुंदरी के चयन का अंतिम पड़ाव शवाब पर था। टीवी पर टिकी दुनिया की निगाहें परिणाम पाने के लिए बेताब थी। फिल्मी नायिका ऐश्वर्या राय से बोर्ड के एक सदस्य ने पूछा कि ‘संसार को अलविदा करते समय आप दुनिया को क्या देकर जाओगी?’ उसने कहा कि ‘संसार से जाते समय मैं दुनिया को अपनी खूबसूरत आँखें दे जाऊंगी।’ इस उत्तर से बाजी उसके हाथ में आ गई और वह विश्वसुंदरी के खिताब की स्वामिनी बन गई। great donation of body

great donation of body भारत की संस्कृति और परंपराएँ सदियों से मानवता, परोपकार और दान की भावना पर आधारित रही हैं। इस श्रृंखला में देहदान, अर्थात अपनी मृत्यु के बाद शरीर को किसी दूसरे के उपयोग के लिए समर्पित करना, एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण और उदात्त कार्य है। इसे ‘महादान’ इसीलिए कहा जाता है क्योंकि इससे न केवल कई लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है, बल्कि चिकित्सा और विज्ञान के क्षेत्र में भी इसका अत्यधिक महत्त्व है।

मृत्यु के पश्चात इंसान का शरीर नष्ट हो जाता है, परंतु अगर इसे चिकित्सा के लिए दान कर दिया जाए, तो इससे अनेक लोगों की ज़िन्दगी संवारने में मदद मिल सकती है। देहदान के माध्यम से चिकित्सक और वैज्ञानिक विभिन्न बीमारियों का अध्ययन कर आसान इलाज ढूंढ सकते हैं। इसके अलावा, मेडिकल छात्रों के लिए शरीर का अध्ययन अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। यह उनके लिए एक जीवनभर की शिक्षा का हिस्सा बनता है और वे इसे वास्तविक रूप से देखकर सीखते हैं। great donation of body

great donation of body देहदान के अंतर्गत अंगदान और नेत्रदान जैसे कार्य भी आते हैं। यदि किसी व्यक्ति के अंग स्वस्थ हैं, तो उन्हें किसी जरूरतमंद व्यक्ति को प्रत्यारोपित किया जा सकता है। नेत्रदान के जरिए अंधे व्यक्ति को फिर से दुनिया देखने का अवसर मिल सकता है। इस प्रकार, एक मृत व्यक्ति भी अपनी मृत्यु के बाद समाज के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण कर सकता है। हमारे समाज में देहदान से जुड़े कई प्रकार के अंधविश्वास और भ्रांतियाँ हैं।

great donation of body कुछ लोग इसे धार्मिक दृष्टिकोण से अनुचित मानते हैं, तो कुछ इसे पारिवारिक परंपराओं के खिलाफ समझते हैं। जबकि सच्चाई यह है कि लगभग सभी प्रमुख धर्मों में मानवता की सेवा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। देहदान से न केवल हम किसी अन्य की जिंदगी बचा सकते हैं, बल्कि यह समाज और देश के लिए भी एक अमूल्य योगदान कर सकते है। जमीदारी प्रथा- उन्मूलन के लिए आचार्य विनोबा भावे ने भूदान आंदोलन चलाया था।

जिससे भूमिहीन किसानो को जमीनें मिली। कहने का तात्पर्य यह है कि जिस व्यक्ति में जैसा सामर्थ और परमार्थ का भाव होता है वह वैसा दान देता है। दान की महत्ता आदिकाल से है। दान देने वाला अक्षय कीर्ति का भागी होता है। फूलों की खुशबू हवा के अनुकूल दिशाओं में बहती है। मगर दानदाता का यश हर दिशा में फैलता है। great donation of body

देहदान करने के लिए व्यक्ति को जीवित रहते हुए अपनी स्वीकृति देनी होती है। इसके लिए विभिन्न अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों द्वारा फॉर्म भरवाए जाते हैं। मृत्यु के पश्चात, परिवार की सहमति भी आवश्यक होती है। इसलिए, यह जरूरी है कि व्यक्ति अपने परिवार को देहदान की इच्छा के बारे में अवगत कराए, ताकि कोई कानूनी या पारिवारिक अड़चन न आए। देहदान एक महादान है जो समाज और मानवता के प्रति हमारी सबसे बड़ी सेवा हो सकती है।

यह न केवल किसी की जिंदगी बचाने का एक माध्यम है, बल्कि चिकित्सा के क्षेत्र में नए शोध और विकास के लिए भी अत्यंत आवश्यक है। देहदान को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाना और लोगों को इसके प्रति प्रेरित करना हमारी जिम्मेदारी है। मृत्यु जीवन का अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत हो सकती है, यदि हम अपने शरीर को दूसरों के लिए उपयोगी बना सकें। यही असली मानवता और सच्चा परोपकार है।

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