
सच यह है कि “वेद व्यास” कोई नाम नहीं है, यह सनातन धर्म की एक उपाधि है। वेदों का ज्ञान रखने वाले व्यक्ति (ऋषि) को “वेद व्यास” की उपाधि दी जाती थी।
महाभारत ग्रंथ, जिसका मूल नाम “जय संहिता” है के रचियता ऋषि “कृष्ण द्विवैपायनन” थे, जो वेदों के ज्ञानी थे इसलिए उन्हें “वेद व्यास” की उपाधि दी गई थी। ऋषि कृष्ण द्विवैपायन के पहले 27 वेद व्यास हो चुके थे, वे 28वें वेद व्यास थे!
ऋषि कृष्ण द्विवैपायन साँवले रंग के थे और वे एक द्वीप पर जनमे थे इसलिए उनका नाम कृष्ण द्विवैपायन पडा था।
महाभारत ग्रंथ की रचना तीन चरणों में की गई थी। पहले चरण में 8800 श्लोक लिखे गए थे। दूसरे चरण में 24000 और तीसरे चरण में 100000 श्लोक लिखे गए थे।