
यह IPS इल्मा अफ़रोज़ हैं, यह UPSC 2018 में ऑल इंडिया रैंक 217 हासिल कर आईपीएस अधिकारी बनी और मात्र 5 साल की नौकरी में जब लोग अपने कैरियर को ऊंचाई देते हैं, इल्मा इमानदारी की चिता पर जल रही हैं।

इल्मा अफ़रोज़ मुरादाबाद के कुंदरकी के छोटे किसान काज़ी अफ़रोज़ अहमद की बेटी है जिसके सर से उनके “कार्सिनोमा कैंसर” पीड़ित वालिद का साया 14 साल की उम्र में ही उठ गया।
मगर काज़ी अफ़रोज़ अपनी मृत्यु तक अपनी बेटी इल्मा के दिलों में ऊंची उड़ान भरने का ख्वाब भर चुके थे। इल्मा ने पिता के खेतों में काम करना शुरू किया, खेती किसानी, नहर नालों से खेतों को सींचा और पढ़ाई में लग गयी।
उसकी मां ने इल्मा और उसके भाई को अकेले ही पाला , गांव इल्मा की मां से कहता “अकेली लौंडिया है क्या कर लेगी ? काहे सर चढ़ा रही हो” मगर इल्मा का हौसला कुछ और था। अपने घर में एक खाट , एक चिराग , एक मोमबत्ती और किताबें इल्मा की दुनिया थी , चिराग का तेल ख़त्म हो तो मोमबत्ती की रोशनी में सारी रात पढ़ाई करती थी।
क़ाबिलियत के बल पर ही इल्मा अफ़रोज़ का एडमिशन दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में हो गया। ग्रेजुएशन के बाद इल्मा अफ़रोज़ का पेरिस स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिल गई। लेकिन पैसे ट्यूशन और रहने के खर्च के लिए तो किसी तरह इंतजाम हो गया मगर हवाई टिकट के लिए नहीं।
पैसे का इंतजाम करने के लिए वह खेतों में गई। चिलचिलाती धूप में उसे चौधरी हरभजन मिले, जिन्होंने उसे भी परिवार के सदस्य की तरह पाला था, वह गेहूं की कटाई कर रहे थे।
दादा समान चौधरी हरभजन ने इल्मा की मदद की और वह अपनी उड़ान के रास्ते पर निकल गयी। कुछ समय बाद ही उसे छात्रवृत्ति के आधार पर ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का अवसर मिला। इल्मा ने पहली बार दुनिया देखी और विभिन्न प्रकार के लोगों से मिली। ऑक्सफोर्ड के बाद, उन्होंने इंडोनेशिया में संयुक्त राष्ट्र में काम करना शुरू किया और फिर न्यूयॉर्क में वित्तीय जिले में काम करने लगी।
न्यूयॉर्क के वाल स्ट्रीट के 42 वें मंजिल के अपने फ्लैट से वह रंग बदलते एंपायर स्टेट की बिल्डिंग पर केसरिया और हरा रंग के आते ही इल्मा अफ़रोज़ को अपने देश की याद आई , उसे याद आए चौधरी हरभजन सिंह के शरीर से गिरकर खेतों में गिरते पसीने की बूंदें और वह देश के लिए कुछ करने के लिए शानदार नौकरी छोड़ कर भारत आ गयी और फ़िर इल्मा अफ़रोज़ IPS बन गई और उसकी तैनाती हो गयी हिमाचल प्रदेश के बद्दी जिले की सुपरिटेंडेंट आफ पुलिस अर्थात एसपी के पद पर। एसपी के तौर पर इल्मा का काम इतना शानदार था कि हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इल्मा अफ़रोज़ को सम्मानित किया।
आज जहां सारी ब्यूरोक्रेसी धर्म और जाति के एजेंडे को पूरा करने के लिए सत्ता के सामने नतमस्तक है इल्मा अफ़रोज़ के इमान ने कांग्रेसी सुक्खू सरकार के अहंकार को चोट दी और कभी इल्मा को सम्मानित करने वाले मुख्यमंत्री सुक्खू ने इल्मा अफ़रोज़ के खिलाफ कार्रवाई कर दी, केवल इसलिए कि एसपी इल्मा अफरोज ने कांग्रेस विधायक और मुख्य संसदीय सचिव रामकुमार चौधरी की पत्नी की कार का चालान काट दिया।
इल्मा अफ़रोज़ को हिमाचल प्रदेश में “लेडी सिंघम” के नाम से जाना जाता है और अगस्त 2024 से ही इस लेडी सिंघम इल्मा अफ़रोज़ का टकराव सरकारी गुंडों से शुरू हो गया। बद्दी में पुलिस ने अवैध खनन के मामले में विधायक राम कुमार चौधरी की पत्नी की गाड़ियों के चालान काट दिए। बस इसी बात पर एसपी इल्मा अफ़रोज़ और मुख्य संसदीय सचिव विधायक में रामकुमार चौधरी में ठन गयी। यहां तक कि विधायक ने विधानसभा सत्र के दौरान इल्मा अफ़रोज़ पर गंभीर आरोप लगाए और एसपी इल्मा अफ़रोज़ को विधानसभा से विशेषाधिकार प्रस्ताव भी दिलवाया मगर IPS इल्मा अफ़रोज़ टस से मस नहीं हुई।
इसके बाद एक घटना और हुई नालागढ़ में एक व्यवसायी रामकृष्ण पर फायरिंग हुई और उसकी कार पर 5 गोली लगी। इल्मा अफ़रोज़ ने जांच की तो पाया हथियार का राष्ट्रीय लाईसेंस पाने के लिए रामकृष्ण ने शूटर इकबाल से खुद ही गोली चलवाई। इल्मा ने इकबाल को गिरफ्तार करके पूरे मामले का पर्दाफाश कर दिया। व्यापारी रामकृष्ण कांग्रेस के बड़े नेता के खासमखास थे। सूत्रों के अनुसार इल्मा को शिमला बुलाया गया, मामला रफा-दफा करने का आदेश दिया गया मगर इल्मा को यह मंजूर नहीं था।
अब इस सबसे चिढ़ी सुक्खू सरकार ने उन्हें लंबी छुट्टी पर भेज दिया जिसके बाद इल्मा ने तुरंत अपने सरकारी आवास से अपना सामान कार में पैक करके अपनी बिमार मां के साथ हिमाचल से निकल गई हैं और वह अपने घर मुरादाबाद पहुंच गई। पुरस्कार की जगह उसे सजा मिली।