थानाध्यक्ष वनभूलपुरा और सीओ सिटी हल्द्वानी ने नहीं दी थी सूचनाएं, राज्य सूचना आयुक्त ने लगाई फटकार, वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोचन भट्ट ने राज्य सूचना आयोग में दायर की थी अपील

राज्य सूचना आयुक्त  ने जनपद नैनीताल के वनभूलपुरा कांड में लोक सूचना अधिकारी द्वारा पत्रकारों से संबंधित सूचनाएं न देने को त्रुटिपूर्ण कार्यवाही का द्योतक बताते हुए इसकी निंदा की है। आयोग ने थानाध्यक्ष को निर्देश दिया कि जो सूचना अन्य थाने, कार्यालय व उपक्रम में हो वहां से सूचना प्राप्त कर पंद्रह दिन के भीतर अपीलार्थी को उपलब्ध करायें।

हरिद्वार निवासी वरिष्ठ पत्रकार त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने उनत्तीस फरवरी 2024 को वरि0 पुलिस अधीक्षक नैनीताल से गत वर्ष हल्द्वानी स्थित वनभूपुरा में अतिक्रमण हटाने गयी प्रशासनिक टीम की कार्यवाही की कवरेज कर रहे पत्रकारों पर उपद्रवियों के हमले में घायल पत्रकारों, उनके क्षतिग्रस्त वाहन, कैमरा, मोबाइल फोन, एफआईआर आदि दस्तावेजी प्रमाणों की सूचना मांगी थी।

वरि0 पुलिस अधीक्षक ने छह बिन्दुओं वाला यह पत्र कार्यवाही के लिए वनभूलपुरा थाने के लोकसूचना अधिकारी/थानाध्यक्ष को भेज दिया गया था। लेकिन मामले के विवेचनाधीन होने की बात कहते हुए लोक सूचना अधिकारी, नीरज भाकुनी, थानाध्यक्ष वनभूलपुरा द्वारा आवेदक को सूचनाएं नहीं दी गई। जिससे असन्तुष्ट भट्ट ने तीन अप्रेल को विभागीय अपीलीय अधिकारी सीओ सिटी हल्द्वानी के समक्ष प्रथम अपील दायर कर दी। अपीलार्थी के प्रतिनिधि के रूप प्रथम अपील की सुनवाई में उपस्थित वरि. पत्रकार दया जोशी के समक्ष अपीलीय अधिकारी नितिन लोहनी क्षेत्राधिकारी द्वारा सूचनाओं को तीसरे पक्ष का बताते हुए सूचना दिया जाना संभव नहीं है कह कर अपील निस्तारित कर दी थी।

विभागीय अपीलीय अधिकारी ने निर्णय से अंतुष्ट श्री भट्ट ने द्वितीय अपील के लिए देहरादून स्थित उत्तराखण्ड राज्य सूचना आयोग का रूख करते हुए 29 फरवरी को द्वितीय अपील दायर की थी। सूचना आयोग में हुई सुनवाई में, राज्य सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र के समक्ष त्रिलोक चन्द्र भट्ट ने लोक सूचना अधिकारी थानाध्यक्ष वनभूलपुरा और विभागीय अपीलीय अधिकारी सीओ सिटी के  निर्णय असहमति जताते हुए मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा।

उन्होंने आयोग से कहा कि ‘‘३ मांगी गयी सूचनाएं लोक क्रियाकलाप और लोकहित में हैं न कि व्यक्तिगत हैं। उक्त सूचनाएं सामूहिक रूप से घटना में सम्मिलित उन पत्रकारों के संबंध में हैं, जिन्हें मुआवजे में आर्थिक लाभ दिया गया है। जिस कारण सूचना का प्रकटन विस्तृत लोकहित में न्यायोचित है।३’’ लोक सूचना अधिकारी की ओर से आयोग को बताया गया कि प्रकरण में विवेचना होकर चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। जिस कारण लोक सूचना अधिकारी कार्यालय में सूचना धारित होना अपेक्षित है और देय है। तथा उक्त सूचना दिये जाने से अन्वेषण/अभियोजना में कोई अड़चन नहीं है।

सभी पक्षों को सुनने के बाद राज्य सूचना आयुक्त विपिन चन्द्र द्वारा लोक सूचना अधिकारी/थानाध्यक्ष वनभूलपुरा को निर्देशित किया गया कि सूचना जिस रूप में उपलब्ध हो उसे आदेश प्राप्ति के पंद्रह दिन के भीतर अपीलार्थी को उपलब्ध करायें। तथा जो सूचना विवेचना उपरान्त चार्जशीट दाखिल कर न्यायालय को प्रेषित की जा चुकी है और उनके कार्यालय में उपलब्ध नहीं है, उसके संबंध में अपीलार्थी को लिखित रूप से सपष्ट अवगत करायें।

राज्य सूचना आयुक्त ने थानाध्यक्ष को यह भी निर्देश दिया कि अपीलार्थी के अनुरोध पत्र के सापेक्ष जिस बिन्दु की सूचना अन्य थाने, कार्यालय व उपक्रम में हो वहां से संबंधित सूचना प्राप्त कर अपीलार्थी को उपलब्ध करायें।

आयुक्त ने कहा कि अपीलार्थी यदि चाहे तो सर्वाेच्च न्यालय के आदेश के परिपेक्ष्य में न्यायालय की निर्धारित व्यवस्था के तहत अनुरोध पत्र के सापेक्ष सूचना प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए आयोग द्वारा सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा गुजरात हाई कोर्ट बनाम सीआईसी की सिविल अपील पर जारी व्यवस्था का भी हवाला भी दिया।

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