(रमेश खन्ना) हरिद्वार मेयर की सीट के o b c (महिला) आरक्षित होते ही भाजपा के कई बड़े-बड़े सुरमा जो एक अरसे से कुबेर की थैली खोलकर लगे थे। अचानक इस शासनादेश से धराशाई हो गए हैं। घरों में चित पड़े यह लंबे-लंबे कुर्ते वाले अभी गहरे सदमे में है की पांच साल तक पार्टी की तहे दिल से तन मन धन से सेवा करके मेयर बनने का ख्वाब देखने वाले अब करें तो करें क्या?
संत महात्मा और मठाधीशों की चाकरी; स्कूलों में बस्ते व स्टेशनरी बांटने और कॉरिडोर के विरोध में व्यापारियों के आंदोलन को छिन्न भिन्न करने के प्रयासों में लगे हरिद्वार के विभिन्न सामाजिक धार्मिक तथा राजनीतिक आयोजनों में चंदा बांटकर मुख्य अतिथि बनने वाले सभी लंबी-लंबी सांस ले रहे हैं। अब उन्हें आने वाले 5 वर्ष में राजनीति किस तरह करनी होगी यह भी चिंता सता रही है।
जहां मेयर सीट के लिए चुनाव लड़ने वाले कांग्रेस और भाजपा के कथित नेताओं की लंबी लिस्ट थी वहीं अब महिला ओबीसी सीट होते ही पार्टियों को महिला प्रत्याशियों के लाले पड़ गए हैं कोई अपनी पत्नी कोई बहन और मां को पार्टी का प्रत्याशी बनाने में मकसद की तलाश में जुट गए हैं।
उत्तराखंड में वार्डों की सूची जारी ही गली मोहल्ले में राजनीति की ए बी सी भी ना जानने वाली महिलाएं मैदान में आ गई है। भाजपा से बदली परिस्थितियों से आरएसएस के चहेते एक चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर की पत्नी जो महिला ओबीसी में आती हैं संघ की पहली पसंद है। वहीं भू व्यवसाय ललित नैयर की पत्नी आरती नैयर का नाम भी विधायक मदन कौशिक खेमे से प्राथमिकता पर है। वहीं पूर्व पार्षद किरण जैसल के नाम की भी चर्चाएं तेजी से हैं।
कांग्रेस से श्री मनोज सैनी जो स्वयं टिकट के प्रबल दावेदार थे। अब अपनी पत्नी को टिकट दिलवाने में सक्रिय हो गए हैं। पूर्व पार्षद सचिन बेनीवाल की पत्नी भी इस भाग दौड़ में शामिल हो गई है।
वही आम आदमी पार्टी में मेयर चुनाव के लिए लंबे समय से जुटे संजय सैनी महिला सीट होते ही अब अपनी पत्नी श्रीमती चित्रा सैनी को प्रत्याशित घोषित कर फिर से सक्रिय हो गए हैं।
एक बात तो तय है कि हरिद्वार मेयर की सीट महिला ओबीसी होते ही निगम के अफसर शाह बहुत खुश है। पहले पिछले कार्यकाल में श्रीमती अनीता शर्मा की नौकरशाहों ने एक भी नहीं सुनी अब किसी नौसिखिए के पार्षद बनने से नौकरशाओ के भ्रष्टाचार की गंगा में गोते लगाने का खुला खेल फर्रुखाबादी हो जाएगा। पहले से ही फूट पड़े कॉरिडोर के खौफ़ के साए में जी रहे हरिद्वार की दशा और भी दर्दनाक हो जाएगी।
संघ गुट; विधायक गुट स्वामी यतीश्वरानंद गुट पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक गुट की खींचतान ने पहले ही इस धर्म नगरी का सर्वनाश किया हुआ है। अब आगे आगे क्या होगा? यह समझ सब रहे हैं परंतु चुपचाप तमाशा देख रहे हैं। उत्तराखंड में जाने के बाद हरिद्वार को खासा नुकसान हुआ है यह बात तो एकदम सत्य है।
*डॉ रमेश खन्ना*
*वरिष्ठ पत्रकार*
*हरिद्वार (उत्तराखंड)*
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