हरिद्वार 23 नवंबर, श्री गुरु चरणानुरागी समिति रजिस्टर्ड, बिरला घाट हरिद्वार समाधि स्थल में सच्चे तपस्वी ब्रह्मनिष्ठ संत सद्गुरू श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज के 35 वें वार्षिक स्मृति समारोह /आयोजित वेदान्त सम्मेलन महोत्सव के द्वितीय दिवस का शुभारम्भ श्री गुरुदेव की आरती वंदन से किया गया।


गुलरवाले से स्वामी जगदीश महाराज जी की अनन्य भक्त सुश्री महेश देवी ने श्री चरणों में आरती एवं भावपूर्ण भजन की प्रस्तुति की। गरीबदासी परम्परा का निर्वहन कर रहे डॉक्टर स्वामी हरिहरानंद जी महाराज ज्योतिषाचार्य द्वारा बाबा जी के श्री चरणों में पुष्पांजलि अर्पण करते हुए वेदान्त की चर्चा की। उन्होंने शास्त्रों और श्रीमद्भागवत का वर्णन करते हुए कहा कि प्रभु तक पहुंचने और अपने जीवन को सफल बनाने के तीन मार्ग प्रमुख हैं 1. भक्ति मार्ग 2. ज्ञान मार्ग 3. कर्म मार्ग। इसमें तीनों मार्ग ही साधक के लिए श्रेष्ठ हैं।
परम पूज्य संत दिनेश दास जी महाराज, परमाध्यक्ष श्री राम निवास आश्रम जी द्वारा गुरु चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए एक बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण भजन प्रस्तुत कर गुरु महिमा का बखान किया।
ऋषिकेश से आए अनन्य भक्त स्वामी श्री हरिहरानंद ने श्री गुरु चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए बाबाजी के संस्मरण सुनाते हुए कहा कि जो साधक अपने जिस उद्देश्य /लक्ष्य को एकाग्र करके अपने गंतव्य की और बढ़ता है और उसे सदैव याद रखता है , तो वह निश्चित रूप से अपने गंतव्य को प्राप्त कर सकता है।
टाट वाले बाबा जी महाराज के अनन्य भक्त स्वामी श्री स्वामी विजयानन्द जी महाराज ने श्री गुरु चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पण करते हुए कहा कि भगवान अनंत हैं। परमात्मा के सिवा अन्य कुछ नहीं है। हम अगर कामना ही करें तो केवल अनंत रूप में व्याप्त परमात्मा की ही करें, क्योंकि केवल वहीं सत्य है ।सत्य का साक्षात्कार ही परमात्मा का दर्शन है।
परम पूज्य महामंडलेश्वर स्वामी श्री हरि चेतनानंद जी महाराज ने कहा कि साधन से बात नहीं होती अगर साधन से बात होती तो व्यक्ति अपने मन को शांत करने के लिए दर दर भटकता नहीं। मन की खुराक है संकल्प और विकल्प फिर भी आप स्वस्थ नहीं हो अतः आप इनसे मुक्त हो जाओ। इसका निरंतर अभ्यास करो कि मैं शरीर नहीं हूं, मैं मन नहीं, मैं इन्द्रिय नहीं, देखकर नहीं देखना, कहां बैठना है कहां नहीं बैठना, यह मनु स्मृति है। हमारी तृष्णा तरुण है, इन्द्रियों को प्रचुर मात्रा में भोग देना, अग्नि में आहुति देने के समान है। आप कहिए मैं बुद्धि हूं, अर्थात बुद्धि है तो ज्ञान है।
विषय और वस्तु रहने तक ही आनंद रहता है।
ज्ञानियों के मोहल्ले में मौत नहीं होती वहां केवल परिवर्तन होता है। तू जन्मने वाला नहीं, तू मरने वाला नहीं, तू अजर अमर अविनाशी है। सच्चे तपस्वी ब्रह्मनिष्ठ संत सद्गुरू श्री श्री टाट वाले बाबा जी महाराज के 35 वें वार्षिक वेदान्त सम्मेलन महोत्सव के दूसरे दिवस का आयोजन श्री गुरु चरणानुरागी समिति के तत्वाधान में डॉक्टर सुनील बत्रा शिक्षाविद एवं प्राचार्य द्वारा संचालित किया गया।
उक्त वार्षिक वेदान्त सम्मेलन में बाबाजी के गुलरवाले से आए जगदीश महाराज के सैकड़ों भक्तों के साथ सुश्री महेश देवी, स्वामी रामचंद्र जी, ज्योति जी एवं अन्य तथा संजय कुमार बत्रा, मधु गौर, लव गौर। ईश्वर चंद तनेजा, दीपक भारती, विजय शर्मा, रमा वोहरा, सुरेन्द्र बोहरा, रैना, भावना गौर, रचना मिश्रा एवं अन्य श्रद्धालुओं ने बाबा जी को अपने श्रद्धा सुमन अर्पण किए।