करवाचौथ क्यों मनाया जाता है?

       पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में वीरवती नाम की एक सुंदर और धर्मनिष्ठ राजकुमारी थी. वह अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी. विवाह के बाद, वीरवती ने पहली बार अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा. उसने दिनभर अन्न-जल ग्रहण नहीं किया और पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन किया. लेकिन दिन ढलते-ढलते भूख और प्यास के कारण वह अत्यधिक कमजोर हो गई. वीरवती की यह दशा देखकर उसके भाई चिंतित हो गए. वे अपनी बहन की हालत देखकर दुखी हो गए और उसे व्रत तोड़ने के लिए मनाने लगे, लेकिन वीरवती ने कहा कि जब तक चंद्रमा उदित नहीं होता, वह व्रत नहीं तोड़ेगी.

          वीरवती के भाइयों ने अपनी बहन की हालत देखकर एक उपाय सोचा. उन्होंने पेड़ की आड़ में छल से एक दर्पण का उपयोग करके नकली चंद्रमा बना दिया. भाइयों ने वीरवती से कहा कि चंद्रमा निकल आया है और उसे देखकर व्रत तोड़ लो. वीरवती ने वह नकली चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ दिया और जल ग्रहण कर लिया. जैसे ही उसने व्रत तोड़ा, उसे यह सूचना मिली कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार हो गया है.

वीरवती को तुरंत आभास हुआ कि उसने चंद्रमा की पूजा किए बिना और सही समय से पहले व्रत तोड़ दिया, जिसके कारण यह अनहोनी हुई. वह अत्यधिक दुखी हुई और पश्चाताप करने लगी. अपने पति की लंबी आयु के लिए वीरवती ने दृढ़ संकल्प किया और पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत फिर से रखा. उसकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे आशीर्वाद दिया और उसका पति स्वस्थ हो गया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *