शराब जानलेवा है

स्वदेश बुलेटिन

देहरादून की घटना न तो पहली है, न अंतिम। पाँच मित्र, नई इनोवा कार, पार्टी, दारू, लॉन्ग ड्राइव की चर्चा और फिर ‘दारू पीने से कन्सनट्रेशन बढ़ता है’ जैसे निरर्थक उपहास को सत्य मानने वाले लाखों बच्चों की तरह, अल्कोहल के नशे में सड़क पर।

एक BMW उन्हें ओवरटेक करती है। संभवतः, ‘भाई, इसने तो तुझे ओवरटेक कर दिया, ये क्या गाड़ी चला रहा है तू’ जैसी उकसाऊ ललकार जैसा मजाक और स्पीड 100 से 120-30-50 की ओर। दो लोग सनरूफ से बाहर देख कर ठिठोली करते हुए ‘उत्साहवर्धन’ कर रहे थे।

स्पीड और बढ़ती है, ट्रक आता है और गाड़ी टकराती है। दोनों बच्चों का सर सनरूफ के साथ कार और शरीर से अलग हो जाता है। बाकियों के देह की दुर्दशा ऐसी हो जाती है कि उसे लिखना भी मुश्किल है। इम्पैक्ट इतना भयावह की नई कार का ढाँचा पहचानने योग्य नहीं रह जाता। एक भी सवारी बचती नहीं, उनकी देह क्षत-विक्षत।

शराब, नशा, गाड़ी और मित्र मंडली ऐसा कॉकटेल है, जिसे हर कोई तब तक हल्के में लेता है, जब तक वो स्वयं इसका शिकार नहीं हो जाते। सबको लगता है वो अजेय, अजित, अमर है, उस पर महादेव का हाथ है। ऐसा होता नहीं। उनके परिजनों के बारे में सोचिए।

ऋषभ पंत के साथ 2022 के 31 दिसंबर को जो हुआ, पूरे देश ने देखा। ऐसे एथलीट को भी रिकवर करने में बीस महीने लग गए जिसके पास हर व्यवस्था थी। वो नशे में नहीं था, केवल स्पीड में था।

शराब जानलेवा है, सड़क-गाड़ी-मित्र-रात्रि न हो तब भी। नशे में गाड़ी चलाना जानलेवा है, स्पीड-मित्र-समय से कोई मतलब नहीं। गाड़ी जानलेवा है, यदि मित्र आपको दारू पीने के बाद भी उस पर बिठाते हैं। मित्र मंडली जानलेवा है यदि उनमें से एक भी आपको ऐसी स्थिति में कार पर बैठने से रोक न रहा हो।

भले ही आप शराब न पीते हों, लेकिन ऐसी गाड़ी पर कभी मत बैठो जहां मित्रों द्वारा ‘डरपोक, कायर, फट्टू’ जैसे विशेषण सुनने पड़ें। उस क्षणिक ‘पौरुष’ प्रदर्शन से करोड़ों-गुणा कीमती आपका जीवन है।

वीरता और पौरुष सड़क पर दूसरी कार के पीछे भागते हुए मरने में नहीं है। वीरता है स्वयं पर संयम रखना और अपने मित्रों को किसी भी प्रकार से उस समय, उस अवस्था में, गाड़ी पर बैठने से रोकना।

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